मन के हारे हार है मन के जीते जीत - यथार्थ

 मन के हारे हार है मन के जीते जीत यह पंक्तियां देश के प्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी जी ने उद्धृत किया है उन्होंने काल्पनिक हॉकी मैच का विवरण देते हुए इस बात का उल्लेख किया कि वे पश्चिम देश में हाकी खेलने गए वहां उन्होंने पश्चिम देश की हॉकी टीम के कप्तान से कहा कि तुम हमसे कभी जीत नहीं पाओगे क्योंकि तुम लोग सोने को कीमती समझते हो और हम पूरब वाले सोने को मिट्टी के समान समझते हैं क्योंकि सोना सिर्फ दिखावे  का होता है मनुष्य के जीवन में उसका कोई उपयोग नहीं है इसलिए वह हमारे लिए मिट्टी से ज्यादा अहमियत नहीं रखता और हमारे पूरब में प्रचलित है कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत हम मन से कभी नहीं हारते इसलिए हम अपने आप को कभी हारा नहीं मानते |

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